
सोना यानी गोल्ड (gold) किसे नहीं पसंद क्योंकि राजा महाराजाओं के समय से ही गोल्ड को एक आकर्षक, महंगा और मूल्यवान धातु माना जाता है और उस वक्त गोल्ड से गहनों के साथ साथ सोने के सिक्के (Coins) भी बहुत ज्यादा प्रचलित थे।
तो पुराने जमाने से ही लोग गोल्ड में निवेश करते आ रहे हैं और दिन प्रति दिन गोल्ड का भाव बढ़ता ही जा रहा हैै।
2008 में 1तोला (10 gram) गोल्ड का दाम 8000 रूपए था और आज इसका दाम 50,000 रूपए से भी ज्यादा हो चुका है । इस हिसाब से अगर देखा जाए तो पिछले 14 सालों में गोल्ड ने करीब 14% का रिटर्न दिया है जोकि किसी बैंक के फिक्स डिपोजिट (FD) के दुगने रिटर्न से भी ज्यादा है ।
इसीलिए जब भी स्टॉक मार्केट गिरता है तब लोग सबसे ज्यादा गोल्ड में निवेश करना पसंद करते हैं और आपको भी अपने इन्वेस्टमेंट का कम से कम 10% हिस्सा को गोल्ड में निवेश करना चाहिए ।

दुनिया में गोल्ड खरीदने वाले 2 तरह के लोग होते हैं :
- उपभोक्ता यानी कंज्यूमर (Consumer) – जोकि ज्वेलरी के रूप में एक लाइफ स्टाइल प्रोडक्ट की तरह गोल्ड को खरीदते हैं ।
- निवेशक यानी (Investor) – जोकि भविष्य में ज्यादा रिटर्न कमाने केे लिए गोल्ड में पैसे लगाते हैं।
गोल्ड में पूंजी निवेश करने के लिए बाजार में बहुत सारे विकल्प महजूद हैं जैसे की :
- असली सोना यानी फिजिकल गोल्ड (Physical gold)
- डिजिटल गोल्ड (Digital gold)
- गोल्ड बॉन्ड (Soverign gold bonds)
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)
- गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold mutual fund)
- इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट (Electronic Gold Receipt/ EGR)
1. असली सोना यानी फिजिकल गोल्ड (Physical gold) क्यों खरीदा जाता है ?
पूरी दुनिया में गोल्ड को सिर्फ एक आकर्षक और मूल्यवान धातु की तरह नहीं बल्कि उससे बनने वाले ज्वेलरी को एक लाइफ स्टाइल प्रोडक्ट (Life style products) की तरह देखा जाता है मतलब अगर किसीने ज्यादा सोने के गहने पहने हैं मतलब उनके पास बहुत धन संपत्ति है और भारत में गोल्ड की लोकप्रियता सबसे ज्यादा है इसीलिए भारत में लड़कियों के शादी में जरूर गोल्ड के ज्वेलरी दिए जाते हैं।
इसीलिए लोग अपने लिए या फिर भविष्य केलिए गोल्ड की ज्वेलरी या फिर गोल्ड बार (Gold bar) खरीद लेते हैं मगर इन्वेस्टमेंट केलिए असली सोना यानी फिजिकल गोल्ड इतनी अच्छी संपत्ति नहीं है क्यों की इसके फायदे के साथ साथ बहुत सारे नुकसान भी होते हैं ।
फिजिकल गोल्ड (Physical gold) खरीदने के फायदे :
- ज्वेलरी की तरह व्यवहार किया जा सकता है जिससे अपने पास गोल्ड होने का एक आत्मसंतुष्टि भी मिलता है।
- अपने बेटी या फिर किसी और को एक मूल्यवान उपहार की तरह दिया जासकता है।
- पैसों की आवश्यकता पड़ने पर इसे बेचा जा सकता है या फिर गिरवी रख के गोल्ड लोन (Gold loan) भी लिया जासकता है।
फिजिकल गोल्ड (Physical gold) खरीदने के नुकसान :
- एक दिन मैं 2 लाख रुपए से ज्यादा का गोल्ड खरीदा नहीं जासकता है।
- फिजिकल गोल्ड खरीदने के वक्त उसका मेकिंग चार्ज और पैकेजिंग चार्ज (Making charge & packaging charge) देना पड़ता है।
- गोल्ड का चोरी होने का भी खतरा होता है और अगर इसे बैंक लॉकर में भी रखना चाहें तो उसके लिए भी चार्ज लगता है ।
- फिजिकल गोल्ड को खरीदने से पहले अच्छे क्वालिटी के गोल्ड की पहचान होना बहुत जरूरी है वरना आपको ठगा भी जासकता है ।
- अगर आप फिजिकल गोल्ड को 3 सालों के बाद बेचने जाते हैं तो आपको आपके प्रॉफिट के ऊपर 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और 4% का उपकर यानी CESS देना पड़ता है।
- गोल्ड को खरीद ने के वक्त 1% का TDS और 3% का GST भी देना पड़ता है ।
- फिजिकल गोल्ड में निवेश करने केे लिए ज्यादा धनराशि की आवश्यकता होती है जोकि हर किसी केलिए मुमकिन नहीं है ।
2. डिजिटल गोल्ड (Digital gold) क्या होता है ?
अगर आप पहली बार डिजिटल गोल्ड के बारे में जान रहे हैं तो आपको थोड़ा अजीब लागसक्ता है मगर आप डिजिटल के रूप में भी गोल्ड खरीद और बेच सकते हैं और आएदिन लोगों को इसके बारे में विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं ।
डिजिटल गोल्ड असली गोल्ड का एक डिजिटल सर्टिफिकेट यानी डिजिटल लाइसेंस की तरह होता है मतलब अगर आपके पास 50 ग्राम के मूल्य का डिजिटल गोल्ड सर्टिफिकेट है इसका मतलब आप 50 ग्राम असली गोल्ड यानी फिजिकल गोल्ड के मालिक हैं और यह कोई पेपर सर्टिफिकेट नहीं होता है बल्कि एक डिजिटल टोकन की तरह होता है जो आपके डिजिटल गोल्ड अकाउंट में रहता है ।
क्या डिजिटल गोल्ड (Digital gold) सुरक्षित है ?
जैसे की हमने जाना की गोल्ड में सही तरीके से निवेश करने से बहुत अच्छा रिटर्न मिल सकता है और जब भी शेयर मार्केट गिरा है तब लोगों ने गोल्ड को निवेश करने के लिए एक अच्छा विकल्प के रूप में चुना है ।
मगर फिजिकल गोल्ड में निवेश करने से बहुत सारे चुनतियों का सामना करना पड़ता है जैसे की :
- अच्छे क्वालिटी के गोल्ड को पहचान ना जरूरी है।
- गोल्ड को रखने केलिए सुरक्षित जगह की जरूरत पड़ती है ।
- फिजिकल गोल्ड की चोरी होने का खतरा रहता है।
- इसमें निवेश करने केलिए ज्यादा धनराशि की आवश्यकता होती है ।
इन्ही कुछ कारणों की वजह से कुछ लोग गोल्ड में निवेश करने से कतराते हैं और उन्ही लोगों केलिए डिजिटल गोल्ड एक अच्छा विकल्प हो सकता है ।
आप जिस भी कंपनी से डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं वो कंपनी आपकी तरफ से अपने पास उसी मूल्य का असली सोना खरीद के रखते हैं जिन्हे आप बाद में चाहें तो निकाल भी सकते हैं ।
फिजिकल गोल्ड की तरह डिजिटल गोल्ड में निवेश करने केलिए ज्यादा धनराशि की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि सिर्फ 1 रूपए में भी डिजिटल गोल्ड खरीदा जा सकता है ।
वो फिजिकल गोल्ड जो कंपनियां आप की तरफ से खरीदते हैं उनके सुद्धता यानी क्वालिटी और सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनियों की होती है जहां पर सिर्फ 24 कैरट के 99.99% सुद्ध गोल्ड ही खरीदे जाते हैं और सारे गोल्ड का इंश्योरेंस भी होता है इसीलिए क्वालिटी और सुरक्षा के मामले में आप बेफिक्र रह सकते हैं ।
डिजिटल गोल्ड (Digital gold) कैसे खरीदें ?
भारत में सिर्फ 3 कंपनियां डिजिटल गोल्ड प्रदान करते हैं और वो कंपनियों के नाम हैं :
इन 3 कंपनियों में से MMTC कंपनी एक सरकारी कंपनी है पर SAFE GOLD और AUGMONT दोनो प्राइवेट कंपनियां हैं ।
डिजिटल गोल्ड SEBI के द्वारा नियंत्रण नहीं होता है मगर फिर भी आप इन तीनों में से किसी भी कंपनी का डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं इसमें आपके पैसे और गोल्ड बिलकुल सुरक्षित रहेंगे ।
इन कंपनियों के डिजिटल गोल्ड खरीदने केलिए आप कुछ पेमेंट एप (Payment apps) जैसे की PayTM, Google Pay, Amazon Pay और PhonePe आदि में अपना डिजिटल गोल्ड अकाउंट खोल सकते हैं और किसी भी दाम का या फिर किसी भी वजन का डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं ।
कुछु ज्वेलरी कंपनियां जैसे की Tanishq, Senco और Kalyan Jewellers आदि भी डिजिटल गोल्ड खरीदने की सुविधा देते हैं जहां पर आप डिजिटल गोल्ड लॉकर खोल के डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं ।
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने केलिए ज्यादा धनराशि का होना जरूरी नहीं है बल्कि सिर्फ 1 रूपए में या फिर 1 ग्राम वजन के भी डिजिटल गोल्ड खरीदा जा सकता है ।
डिजिटल गोल्ड (Digital gold) खरीदने के फायदे :
असली सोना यानी फिजिकल गोल्ड खरीदने से जो कुछ पारेसानियों का सामना करना पड़ता है डिजिटल गोल्ड से वो बहुत कम हो जाते हैं जैसे की :
- डिजिटल गोल्ड से आप अपने दूर में रहने वाले रिश्तेदारों को अच्छे क्वालिटी के गोल्ड पूरी सुरक्षा के साथ डिजिटल के रूप में भेज सकते हैं ।
- डिजिटल गोल्ड का चोरी होने का खतरा नहीं होता है ।
- आप जब कभी भी चाहें अपने डिजिटल गोल्ड को असली गोल्ड के रूप में निकाल सकते हैं ।
- गोल्ड के क्वालिटी में कोई समझौता नहीं किया जाता है हमेशा 24 कैरट का 99.99% सुद्ध गोल्ड मिलता है ।
डिजिटल गोल्ड (Digital gold) खरीदने के नुकसान :
डिजिटल गोल्ड खरीदने के फायदे के साथ साथ कुछ कमियां भी होते हैं जैसे की :
- डिजिटल गोल्ड खरीदने के वक्त 3% का GST देना पड़ता है ।
- आप हमेशा के लिए गोल्ड को डिजिटल के रूप में नहीं रख सकते हैं क्योंकि कुछ सालों के बाद आपको अपने डिजिटल गोल्ड को फिजिकल गोल्ड के रूप में निकालने के लिए कहा जाएगा ।
- असली गोल्ड को निकाल ने के वक्त आपको 2%-3% का स्प्रेड (spread) देना पड़ेगा ।
- असली गोल्ड को निकालने पर मेकिंग चार्ज (Making charge) भी देना पड़ेगा ।
- अगर आप 3 साल से कम वक्त तक डिजिटल गोल्ड रखते हैं तो उसपे इतना ज्यादा टैक्स नहीं पड़ेगा मगर 3 सालों के बाद रखने पर 20% तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ सकता है ।
3. गोल्ड बॉन्ड (Soverign gold bonds) क्या है ?
मान लो की आपको गोल्ड के क्वालिटी के बारे में इतना ज्यादा जानकारी नहीं है पर आपको लगता है की आने वाले सालों में गोल्ड बहुत अच्छा रिटर्न देगा मगर आपको गोल्ड से जुड़े हुए चार्जेस और टैक्स से बचना है तो आप के लिए गोल्ड बॉन्ड्स (Soverign gold bonds) एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है ।
गोल्ड बॉन्ड का मतलब गोल्ड का एक पेपर सर्टिफिकेट की तरह होता है जोकि RBI (Reserve Bank of India) के द्वारा दिया जाता है ।
उदाहरण के तौर पर मान लो की आप के पास RBI से खरीदे हुए 2 ग्राम का एक गोल्ड बॉन्ड है इसका मतलब आप 2 ग्राम असली गोल्ड के मालिक हैं मगर इसमें RBI आप की तरफ से कोई भी असली गोल्ड नहीं खरीदता है जैसे की डिजिटल गोल्ड में होता है ।
गोल्ड बॉन्ड खरीद ने के फायदे :
अगर गोल्ड में निवेश करना है तो गोल्ड बॉन्ड को सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है क्योंकि :
- गोल्ड बॉन्ड को खरीद ने के वक्त कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है ।
- गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने के लिए ज्यादा पैसों की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मिनिमम 1 ग्राम के भी गोल्ड बॉन्ड को खरीद जा सकता है ।
- इसमें कोई असली सोना खरीदा नहीं जाता है इसीलिए कोई मेकिंग भी चार्ज नहीं होता है ।
- असली गोल्ड से जुड़े परेसनियां जैसे खराब क्वालिटी और सुरक्षा का चिंता नहीं होता ।
- अगर गोल्ड बॉन्ड को ऑनलाइन खरीदा जाए तो प्रति ग्राम के गोल्ड पर 50 रूपये का छूट मिलता है ।
- गोल्ड बॉन्ड को अपने पास रखने के लिए RBI सालाना 2.5 % ब्याज भी देता है ।
- गोल्ड बॉन्ड को बेच ने के वक्त कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ता है ।
इन्हीं सब कारणों की वजह से अनुभवी निवेशक हमेशा गोल्ड बॉन्ड खरीद ना पसंद करते हैं क्योंकि जहां पर असली गोल्ड में सारे चार्जेस और टैक्स देने के बाद सिर्फ 5% से 7% का ही रिटर्न मिलता है वहीं पर गोल्ड बॉन्ड में सालाना 10% से 12% का रिटर्न मिलता है ।
गोल्ड बॉन्ड (Soverign gold bonds) कैसे खरीदें ?
RBI हर साल कुछ गोल्ड बॉन्ड देता है जोकि हर एक दो महीनों के अंदर अनाउंस किया जाता है जिसे आप ऑनलाइन (online) या फिर ऑफलाइन(offline) भी अप्लाई कर सकते हैं ।
RBI कौन से दिन गोल्ड बॉन्ड्स देने वाला है वो आप यहां चेक कर सकते हैं –
अगर आप कोई भी स्टॉक ब्रोकर एप (stock broker app) इस्तेमाल करते हैं तो वहां पर आप ऑनलाइन में गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं जहां आपको प्रति ग्राम 50 रूपये का छूट भी मिलेगा ।
गोल्ड बॉन्ड दिए जाने का दिन अनाउंस होने के 3 से 4 दिनों के अंदर गोल्ड बॉन्ड के लिए अप्लाई किया जाता है ।
गोल्ड बॉन्ड खरीद ने के नुकसान :
इतने सारे फायदे जानने के बाद आप सायद गोल्ड बॉन्ड के तरफ थोड़ा आकर्षित हो गए होंगे मगर इसके कुछ खामियां भी हैं उनके बारे में भी जानना जरूरी है जैसे की :
- गोल्ड बॉन्ड खरीद ने के बाद आपको इसे 8 साल तक रखना पड़ेगा और उसके बाद आप उस बॉन्ड को RBI को देकर बिना किसी टैक्स के सारा मुनाफा ले सकते हैं ।
- 8 साल के पहले भी अगर आप चाहें तो Early redemption के तहत 5 साल के बाद भी बिना टैक्स दिए पैसे निकाल सकते हैं ।
- अगर आप ऑनलाइन खरीद के 5 साल के पहले या फिर बाद में अपने स्टॉक ब्रोकर एप के द्वारा किसी और को गोल्ड बॉन्ड बेच देते हैं तो इसके ऊपर सारे टैक्स और ब्रोकर चार्जेस भी लगेगें ।
- गोल्ड बॉन्ड का एक और नुकसान ये भी हैै की आप डिजिटल गोल्ड की तरह इसे देकर असली सोना यानी फिजिकल गोल्ड नहीं निकाल सकते हैं ।
4. गोल्ड ETF क्या होता है ?
ETF का फुलफॉर्म है Exchange Traded Fund और गोल्ड ईटीएफ का मतलब है गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold exchange traded fund) ।
ETF का मतलब क्या होता है ?
ETF एक प्रकार का निवेश है जिसे स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जाता है। ईटीएफ व्यापार शेयरों में व्यापार के समान है। ETF में बांड, या स्टॉक खरीदे बेचे जाते हैं। एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक म्यूचुअल फंड की तरह है, लेकिन म्यूचुअल फंड के विपरीत, ईटीएफ को ट्रेडिंग अवधि के दौरान किसी भी समय बेचा जा सकता है।
उदाहरण – SENSEX ETF ओर NIFTY 50 ETF
गोल्ड ईटीएफ भी बिलकुल ऐसा ही होता है जहां पर कुछ बैंक के गोल्ड ईटीएफ और प्राइवेट कंपनियों के गोल्ड ईटीएफ शेयर मार्केट में महजुद होते हैं और आप इनके दाम को एक कंपनी के स्टॉक की ही तरह ऊपर नीचे होते हुए देख सकते हैं जोकि बाजार में बदलते हुए गोल्ड के मूल्य पर निर्भर करता है ।
गोल्ड ईटीएफ कैसे खरीदें ?
गोल्ड ईटीएफ को खरीद ने के लिए आपको बस एक डीमैट अकाउट की जरूरत होती है जिसे आप कोई भी स्टॉक ब्रोकर एप में खोल सकते हैं और खरीद ने के बाद वो सारे गोल्ड ईटीएफ आप के डीमैट अकाउंट में 2 दिन के अंदर आ जाएंगे ।
गोल्ड ईटीएफ को NAV (Net Asset Value) के यूनिट में खरीदा जाता है और गोल्ड ईटीएफ के टोटल फंड साइज को AUM (Asset under management) कहा जाता है ।
अगर आप गोल्ड ईटीएफ को बेचना भी चाहें तो कभी भी उस स्टॉक ब्रोकर एप के द्वारा आसानी से बेच सकते हैं इसमें कोई भी लॉक इन पीरियड नहीं होता है ।
गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) खरीद ने के फायदे :
अगर आप को अच्छे गोल्ड की इतनी ज्यादा पहचान नहीं है और आप डिजिटल के रूप में गोल्ड को खरीद ना चाहते हैं तो गोल्ड ईटीएफ एक बहुत अच्छा विकल्प है क्योंकि :
- गोल्ड ईटीएफ को खरीद ने केलिए कहीं पर जाने की जरूरल नहीं आप कहीं भी कभी भी जैसे एक स्टॉक को खरीद जाता है वैसे ही इसे खरीद सकते हैं ।
- गोल्ड ईटीएफ के मूल्य को आप अपनी मोबाइल या कंप्यूटर के स्क्रीन पर एक स्टॉक की तरह देख सकते हैं जिसकी वजह से कब गोल्ड ईटीएफ को बेचना है और कब खरीद ना है ये फैसला करने में आसानी होती है ।
- अगर आप को अपने गोल्ड ईटीएफ के बदले असली सोना यानी फिजिकल गोल्ड निकाल ना चाहें तो निकाल सकते हैं मगर इसके लिए आप के गोल्ड का वजन कम से कम 1KG होना जरूरी है ।
- इसमें सालाना 9% से 13 तक का रिटर्न मिलता है ।
गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) खरीद ने के नुकसान :
हर चीज की तरह गोल्ड ईटीएफ में भी कुछ फायदे के साथ साथ कुछ नुकसान भी है जैसे की :
- गोल्ड ईटीएफ खरीद ने के वक्त कुछ मात्रा में Expence ratio देना पड़ता है जो की अलग गोल्ड ईटीएफ का अलग अलग होता है आम तौर पर इसकी मात्रा 0.25% से लेकर 0.60% के बीच में होता है ।
- गोल्ड ईटीएफ को बेचने के वक्त ब्रोकरेज और टैक्स लगते हैं ।
- 1 kg से नीचे के वजन के गोल्ड ईटीएफ को असली गोल्ड के रूप में निकाला नहीं जा सकता है ।
5. गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold mutual fund) क्या होता है ?
अगर आप को गोल्ड की समझ नहीं है और आप को पूंजी निवेश का कोई अनुभव नहीं है तो आप गोल्ड फंड यानी गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं ।
जैसे की इक्विटी म्यूचुअल फंड में होता है वैसे ही गोल्ड म्यूचुअल में भी अनुभवी निवेशक होते हैं जो आपके पैसों को गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड बॉन्ड्स आदि में निवेश करते हैं।
जहां पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने केलिए डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है वहीं गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करने केलिए आपको म्यूचुअल फंड अकाउंट की जरूरत पड़ती है ।
गोल्ड म्यूचुअल फंड में NAV के यूनिट में निवेश किया जाता है और इसिकी टोटल फंड साइज को AUM कहा जाता है ।
मैनेजमेंट की वजह से गोल्ड म्यूचुअल फंड में ER (Expence Ratio) देना पड़ता है जोकि 1% से लेकर 1.5% तक हो सकता है ।
गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले कुछ चीजें जानले :
- गोल्ड म्यूचुअल फंड में SIP किया जा सकता है जोकि गोल्ड ईटीएफ में नहीं हो सकता है ।
- कोई भी गोल्ड फंड में निवेश करने से पहले उसका AUM जरूर चेक करें । AUM जितना ज्यादा होता है उस गोल्ड फंड में निवेश करना उतना ही अच्छा है।
- मैनेजमेंट की वजह से गोल्ड फंड में ER (Expence Ratio) देना पड़ता है जोकि 1% से लेकर 1.5% तक हो सकता है ।
- गोल्ड म्यूचुअल फंड में अगर आप चाहें तो डिजिटल गोल्ड की तरह असली गोल्ड नहीं निकाल सकते ।
6. EGR (Electronic Gold Receipt) क्या है ?
9th February 2022 में SEBI ने EGR यानी इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट को अनाउंस किया जोकि भारत सरकार के द्वारा देश में गोल्ड को डिजिटल टेक्नोलॉजी द्वारा रेगुलेट करने का एक जरिया बनेगा और आगे जाके पूरे देश में लोग EGR के माध्यम से अच्छे क्वालिटी के के गोल्ड सही दाम पर खरीद और बेच पाएंगे ।
EGR काम कैसे करता है ?
SEBI के गोल्ड वोल्ट अगर आप अपना गोल्ड जमा करते हैं तो आपको उसी गोल्ड के वजन के हिसाब से इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट दिया जाएगा जिसे आप अपनी EGR के अकाउंट पर भी देख पाएंगे ।
गोल्ड वोल्ट में एक वोल्ट मैनेजर रहेगा जिसका काम होगा –
- सारे गोल्ड के लिए EGR बनाना
- गोल्ड की क्वालिटी परखना
- गोल्ड की सुरक्षा का जिम्मेदारी संभालना
EGR(Electronic Gold Receipt) के फायदे :
- अगर कहीं पर सोना चोरी होने का दर है तो उसे EGR के रूप में रखा जा सकता है ।
- लोगों को गोल्ड खरीद ने के लिए बीच में बहुत सारे व्यापारियों को भी कमीसन देना पड़ता था जोकि अब नहीं देना पड़ेगा ।
- लोग सही दाम पर अच्छी क्वालिटी के गोल्ड खरीद पाएंगे ।
- लोग भारत में कहीं से भी किसी भी जगह पर गोल्ड भेज पाएंगे ।
- EGR की वजह से गोल्ड के ऊपर ट्रेड करना भी आसान होगा ।
मगर वोल्ट मैनेजमेंट के होने की वजह से कुछ एक्सपेंस देना पड़ेगा और इसीलिए यहां गोल्ड रखना घर में गोल्ड रखने से थोड़ा महंगा पड़ सकता है ।
EGR आपको 1KG, 100gm और 50gm वाले ही मिलेंगे और वैसे 10gm और 5gm वाले भी EGR मिलेंगे मगर आप उनसे फिजिकल गोल्ड नहीं निकाल सकते क्योंकि फिजिकल गोल्ड निकाल ने केलिए मिनिमम अमाउंट 50 ग्राम का होना जरूरी है ।
Gold’s liquidity,charges,tax and CAGR table .
चलिए तो एक औसत अनुमान के साथ एक टेबल के माध्यम से जानते हैं गोल्ड के सारे माध्यमों के चार्जेस, टैक्स और पिछले 5 सालों का रिटर्न ।
Gold format | Liquidity | Making changes | Income tax | Expense ratio | Physical gold withdrawal | CAGR of last 5 years |
Physical gold | very high | yes | yes | no | yes | 16% |
Digital gold | high | only when taking physical gold | yes | yes | yes | 18% |
Gold bonds | low | no | no | no | no | 70-80% |
Gold etf | High | no | yes | yes | yes | 65-70% |
Gold mutual fund | very high | no | yes | yes | no | 60-65% |
सामान्य प्रश्न (FAQ)-
कमाई का कितना प्रतिसत गोल्ड में इन्वेस्ट करना चाहिए ?
स्टॉक मार्केट और बाकी इन्वेस्टमेंट के साथ ही आप को अपनी कमाई का 10-15% तक गोल्ड बॉन्ड्स और ईटीएफ या फिर गोल्ड फंड आदि में निवेश करना चाहिए ।
फिजिकल गोल्ड या डिजिटल गोल्ड किसको खरीद ना चाहिए ?
असली गोल्ड यानी फिजिकल गोल्ड से डिजिटल गोल्ड बेहतर है क्योंकि यहां पर गोल्ड की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है और गोल्ड चोरी होने का खतरा भी नहीं होता है ।
डिजिटल गोल्ड या गोल्ड बॉन्ड्स क्या खरीद ना चाहिए ?
गोल्ड बॉन्ड को हमेशा से ही गोल्ड में निवेश करने का एक बेहतर विकल्प माना जाता है क्योंकि यहां पर कोई चार्जेस या टैक्स नहीं होता है ।
गोल्ड म्यूचुअल फंड और गोल्ड ईटीएफ में बेहतर क्या है ?
गोल्ड ईटीएफ क्योंकि गोल्ड म्यूचुअल फंड निवेशकों के पूंजी को गोल्ड ईटीएफ में ही लगाते हैं और गोल्ड ईटीएफ का चार्जेस भी गोल्ड फंड से कम होता है ।
क्या डिजिटल गोल्ड के बदले लोन लिया जा सकता है ?
हां बिलकुल भारत में बहुत से बैंक डिजिटल गोल्ड के बदले लोन प्रदान करते हैं ।