Large cap, mid cap और small cap स्टॉक्स और फंड्स क्या होते हैं और किसमें इन्वेस्ट करना चाहिए ?

Largecap, midcap, smallcap

आज के इस स्मार्ट दुनिया में लोग जितना इनकम कर रहे हैं उस पूंजी को बढ़ाने के लिए उसको सही जगह निवेश करना भी उतना ही ज्यादा जरूरी समझते हैं ।

पूंजी निवेश के लिए बहुत सारे विकल्प हैं और उनमें से स्टॉक मार्केट को सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है ।

अगर आप हमारी ये आर्टिकल पढ़ रहे हैं तो हो सकता है की आप अभी स्टॉक मार्केट में नए हो, कोई बात नहीं हम आपके इस सफल सफर में आप के साथ हैं तो चलिए अब जानते हैं स्मॉल कैप (Small cap), मिड कैप (Mid cap) और लार्ज कैप (Large cap) स्टॉक्स और फंड्स के बारे में संपूर्ण जानकारी ।

लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स के बारे में जान ने से पहले हमको जान ना पड़ेगा की मार्केट कैपिटलाइजेशन (market capitalisation) यानी मार्केट कैप कया होता है क्योंकि मार्केट कैप के आधार पर ही जाना जाता है की कौन सी कंपनी लार्ज कैप कौन सी मिड कैप और कौन सी स्मॉल कैप है ।

विषय सूचि ➤

मार्केट कैपिटलाइजेशन (market capitalisation) यानी मार्केट कैप कया होता है ?

मार्केट कैप कोई भी कंपनी की मार्केट में टोटल वैल्यू को दर्शाता है यानी इससे ये पता चलता है की अगर कोई उस कंपनी को खरीद ना चाहे तो उसे कितनी कीमत देना पड़ेगा।

चलिए इसे एक फॉर्मूला के द्वारा समझते हैं :

Market capitalisation (market cap) = Share price × Number of outstanding shares

कंपनी का एक शेयर का प्राइस और उस कंपनी के जितने भी शेयर हैं उनकी मात्रा दोनों को गुणा करने के बाद कंपनी का मार्केट कैप निकलता है ।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं मान लो की एक कंपनी शेयर प्राइस 10 रूपये है और उस कंपनी के कुल 1000 शेयर्स हैं तो उस कंपनी का वैल्यू यानी मार्केट कैप टोटल 10,000 रूपये है और इसी हिसाब से कंपनियों का मार्केट कैप करोड़ों में निर्धारित किया जाता है और मार्केट कैप के आधार में कंपनियों के 3 प्रकार होते हैं :

  1. लार्ज कैप (Large cap)
  2. मिड कैप (Mid cap)
  3. स्मॉल कैप (Small cap)

लार्ज कैप (Large cap) स्टॉक्स कया है ?

जिन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 20,000 करोड़ से ज्यादा होता है उन्हे लार्ज कैप कंपनी कहा जाता है और इनके शेयर्स को लार्ज कैप स्टॉक्स कहा जाता है ।

ये कंपनियां अपने अपने क्षेत्र में सालों से राज करते आ रहे हैं और अपनी पोजीशन से किसी और कंपनी को उन्हे पीछे छोड़ना बहुत मुस्किल है और उन्ही स्टॉक्स को ब्लू चिप (Blue chip) स्टॉक्स भी कहा जाता है । यहां पर इन्वेस्ट करने से नुकसान होने का खतरा सबसे कम होता है वहीं पर इन कंपनियों का ग्रोथ रेट भी बहुत कम होता है ।

SEBI के मुताबिक देश के सबसे बड़े मार्केट कैप वाले 100 कंपनियां जो सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं उन्हें लार्ज कैप कंपनियां कहा जाता है जिन्हे हम NSE के निफ्टी 100 लार्ज कैप इंडेक्स में देख सकते हैं और पूरे NSE का 75% हिस्सा लार्ज कैप कंपनियों का है ।

लार्ज कैप कंपनियां के कुछ उदाहरण हैं :

  • Reliance Industries
  • TCS
  • HDFC BANK
  • INFOSIS
  • ICICI BANK
  • HINDUSTAN UNILEVER

मिड कैप (Mid cap) स्टॉक्स क्या है ?

जैसे की नाम से ही पता चल रहा है की स्मॉल कैप से ज्यादा और लार्ज कैप से कम मार्केट कैप वाले कंपनियों को मिड कैप कंपनियां कहा जाता है ।

मिड कैप कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 5000 करोड़ से ज्यादा और 20,000 करोड़ से कम होता है ।

SEBI के मुताबिक 101 से लेकर 250 रैंक के मार्केट कैप वाले कंपनियों को मिड कैप कंपनी कहा जाता है जिन्हे हम NSE के nifty 150 मिड कैप इंडेक्स में भी देख सकते हैं और पूरे NSE में 14% का हिस्सा मिड कैप इंडेक्स का है ।

छोटी कंपनियां धीरे धीरे ग्रोथ करके मिड कैप और बाद में लार्ज कैप बनती हैं । मिड कैप कैप कंपनी के ग्रो होने के आसार ज्यादा होते हैं इसीलिए यहां आपको लार्ज कैप स्टॉक्स से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है और इसी तरह इनके गिरने के आसार भी ज्यादा होते हैं ।

मिड कैप कंपनियों के कुछ उदाहरण :

  • Bajaj Electricals
  • Tata Steel BSL
  • Blue Star
  • Exide Inds
  • Finolex Cables

स्मॉल कैप स्टॉक्स क्या होते हैं ?

वो कंपनियां जिनके मार्केट कैप 5000 करोड़ या उससे कम होते हैं उन्हें स्माल कैप कंपनियां कहा जाता है और इन्हें पैनी स्टॉक्स (Penny stocks) भी कहा जाता है ।

SEBI के मुताबिक मार्केट कैप के अनुसार 251 से ले कर 500 तक रैंक तक के कंपनियों को स्मॉल कैप स्टॉक्स कहा जाता है और निफ्टी स्मॉल कैप इंडेक्स में ये कंपनियां सूचीबद्ध होती हैं और पूरी NSE में 7% का हिस्सा स्मॉल कैप स्टॉक्स इंडेक्स का है ।

स्मॉल कैप स्टॉक्स में प्राइस की अस्थिरता सबसे ज्यादा होता है और बहुत से लोग इनमें निवेश करना पसंद भी करते हैं क्यों की इन स्टॉक्स का भविष्य में बहुत अच्छा रिटर्न देने के आसार सबसे ज्यादा होता है और इनके प्राइस भी लार्ज कैप और मिड कैप स्टॉक्स के तुलना में बहुत कम होता है इसीलिए निवेशक इसीकी और आकर्षित होते हैं।

शेयर मार्केट में baht सारे स्मॉल कैप स्टॉक्स हैं मगर उनमें से सही शेयर को चुनना काफी मुस्कील होता है क्योंकि मार्केट कैप बहुत कम होने के कारण स्मॉल कैप कंपनियों के डूब ने का खतरा सबसे ज्यादा होता है इसीलिए अगर बिना एनालिसिस किए पूंजी निवेश किया जाए तो पैसे डूबने का भी आसार सबसे ज्यादा होता है ।

अगर सही कंपनी में निवेश किया जाए तो ये बाद में जाके मल्टीबैगर स्टॉक्स भी बन सकती है जहां पर कुछ कंपनी ने सालाना 100% से ज्यादा का भी रिटर्न देते हैं ।

लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनी यानी स्टॉक्स में अंतर क्या है ?

लार्ज कैप स्टॉक्स, मिड कैप स्टॉक्स और स्मॉल कैप स्टॉक्स तीनों हीं एक दूसरे से बिलकुल अलग होते है और मार्केट के सिचुएशन के हिसाब से तीनों ही तरह के कंपनियां अलग अलग तरीके से प्रदर्शन करते हैं ।

लार्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों के बीच अंतर को हम 5 प्रकार से समझ सकते हैं :

  1. कंपनी का टाइप और स्ट्रक्चर (Company type & structure)
  2. मार्केट कैप्टलाइजेशन (Market capitalisation)
  3. कंपनी का अस्थिरता मतलब वॉलैटिलिटी (Volatility)
  4. कंपनी का ग्रो होने के आसार मतलब ग्रोथ पोटेंशियल (Growth potential)
  5. स्टॉक्स लिक्विडिटी (Stocks Liquidity)

1. कंपनी का टाइप और स्ट्रक्चर (Company type & structure)

शेयर मार्केट में बहुत सारे कंपनियां हैं पर उनमें से सही कंपनी का चुनाव करने के लिए आप को कंपनियों के प्रकार और स्ट्रक्चर के बारे में जानकारी होना जरूरी है ।

स्टॉक मार्केट में बहुत से सेक्टर के कंपनियां सूचीबद्ध हैं जैसे की :

  1. बैंक सेक्टर कंपनी
  2. नेचुरल रिसोर्सेस जैसे की oil & gas या फिर Coal आदि सेक्टर के कंपनी
  3. मेटल यानी लोहा, स्टील, एल्यूमीनियम आदि सेक्टर के कंपनी
  4. Food सेक्टर कंपनी
  5. हेल्थ सेक्टर कंपनी
  6. ऑटो मोबाइल सेक्टर के कंपनी
  7. केमिकल सेक्टर कंपनी
  8. इंश्योरेंस सेक्टर के कंपनी
  9. IT सेक्टर के कंपनी
  10. टेलीकॉम (Telecom) सेक्टर कंपनी
  11. सीमेंट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर कंपनी

हर सेक्टर के लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों के उदाहरण :

SECTORSLarge capMid capSmall cap
BankHDFCUnion BankCSB BANK
ITTCSL&T TechROUTE
Natural resourcesONGCJSW EnergyAEGISCHEM
InsuranceBajaj FinanceL&T FinanceRVNL
HealthApollo HospitalFortis HealthSun Pharma Adv
AutomobileMaruti SuzukiTVS MotorCEATLTD
ChemicalHind ZincTata ChemicalsGFL
ConstructionDLFGMR InfraIRB Infra
TelecomBharti AirtelVodafone IdeaTEJASNET
FoodNestleZydus Wellness LtdBalrampur Chini
MetalTata SteelJindal SteelNALCO

देश में अलग अलग परिस्थितियों में अलग अलग सेक्टर के कंपनियां अलग अलग तरीके से पदार्सन करते हैं उदाहरण के तौर पर :

रूस और यूक्रेन के बीच जब युद्ध हुआ तब oil and Gas कंपनियों का स्टॉक प्राइस गिर गया क्यों की रूस से भारत में सबसे ज्यादा oil & gas इंपोर्ट किया जाता है और बाकी कुछ शेयर के भी प्राइस गिर गए क्योंकि हर चीज के ट्रांसपोर्ट के लिए oil and Gas की जरूरत पड़ती है ।

और एक उदाहरण अगर लिया जाए तो आज कल इलेक्ट्रिक बाइक और इलेक्ट्रिक कार की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है इसीलिए इलेक्ट्रिक वाहन वाले कंपनियों के स्टॉक प्राइस बढ़ती ही जा रही है और भविष्य में भी इनके बढ़ने के आसार बहुत ज्यादा हैं ।

इसीलिए मार्केट की स्थिति को देख कर कंपनियों के सेक्टर चुनना चाहिए और उनके स्ट्रक्चर के साथ उनके मार्केट कैप का भी संबंध होता है क्योंकि :

मान लो अगर एक oil and Gas कंपनी है जोकि स्मॉल कैप मार्केट साइज के अंदर आती है तो यहां पर इस कंपनी का भविष्य में ग्रो होने के आसार बहुत कम है क्योंकि oil and Gas जैसी कंपनियों को ग्रो होने के लिए ज्यादा फंड्स की जरूरत पड़ती है तो ज्यादा फंड्स का मतलब ज्यादा लोन और इसका मतलब ज्यादा रिस्क ।

वहीं पर अगर एक IT कंपनी स्माल कैप के अंदर आ रहा है फिरभी वहां ज्यादा संभावना है की वो कंपनी भविष्य अच्छा रिटर्न देगा क्यों की वहां पर कंपनी का ग्रोथ रेट सबसे ज्यादा कंपनी की अच्छा मैनेजमेंट के ऊपर निर्भर करता है ।

2. मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market capitalisation)

जैसे की हमने जाना की मार्केट सेपिटलाइजेशन के आधार पर कंपनियां 3 प्रकार के होते है :

  1. लार्ज कैप कंपनी – इन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 20,000 करोड़ या फिर इससे ज्यादा होता है और इन कंपनियों के शेयर को लार्ज कैप स्टॉक्स या फिर ब्लू चिप स्टॉक्स भी कहा जाता है जो की लार्ज कैप इंडेक्स के अंदर लिस्ट होती हैं ।
  2. मिड कैप कंपनी – इन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 5000 करोड़ से ज्यादा और 20,000 करोड़ से कम होता है और इनके शेयर को मिड कैप स्टॉक्स कहा जाता है जो की मिडकैप इंडेक्स के अंदर लिस्ट होती हैं ।
  3. स्माल कैप कंपनी – इन कंपनियों के मार्केट कैप 5000 करोड़ से कम होता है और इनके शेयर को स्मॉल कैप स्टॉक्स या फिर पैनी स्टॉक्स भी कहा जाता है और ये स्मॉल कैप इंडेक्स के अंदर लिस्ट होती हैं ।

एक कंपनी के हर साल के मार्केट कैप के आंकड़ों से ये पता लगाया जा सकता है की कंपनी का वैल्यू पिछले कुछ सालों से बढ़ा है या फिर घटा है जिसकी वजह से कंपनी का हालात के बारे में जान सकते हैं और निवेश के बारे में निस्पत्ती लेने में आसानी होती है ।

3. स्टॉक प्राइस में वॉलैटिलिटी (Volatility)

वॉलैटिलिटी का मतलब है कोई स्टॉक प्राइस में अस्थिरता कितनी है यानी कम समय के अंदर कोई स्टॉक का प्राइस कितना बढ़ रहा है और कितना घट रहा है ।

अगर किसी कंपनी का स्टॉक में वॉलैटिलिटी रेट ज्यादा है इसका मतलब वो कंपनी बहुत अच्छा रिटर्न दे सकता है या फिर बहुत ज्यादा गिर भी सकता है इसीलिए इन कंपनियों में निवेश करने में रिस्क हो सकता है और हर दिन के न्यूज के आधार पर ये कंपनियां बहुत ज्यादा प्रभावित होती हैं ।

लार्ज कैप स्टॉक्स में वॉलैटिलिटी कितना होता है ?

लार्ज कैप स्टॉक्स में वॉलैटिलिटी रेट बिलकुल ही कम होता है क्योंकि ये कंपनियां सालों से अच्छा रिटर्न दे चुके होते हैं और इनका मार्केट कैप बहुत ज्यादा होता है इसीलिए इनके शेयर्स को क्वालिटी शेयर्स माना जाता इसीलिए ज्यादातर लोग इनके स्टॉक्स बेचते नहीं है इसीलिए कंपनी के साथ साथ स्टॉक का प्राइस भी धीरे धीरे ग्रो होता रहता है ।

इसीलिए अगर आप अपनी पूंजी के ऊपर बिलकुल ही कम रिस्क लेना चाहते हैं तो आप लार्ज कैप स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं ।

मिड कैप स्टॉक्स में वॉलैटिलिटी कितना होता है ?

लार्ज कैप स्टॉक्स के तुलना में मिड कैप स्टॉक्स में वॉलैटिलिटी रेट बहुत ज्यादा होता है क्योंकि मिड कैप कंपनियों का मार्केट कैप लार्ज कैप कंपनियों के तुलना में कम होता है और इन कंपनियों में ग्रो होने का और घाटा होने का संभावना बहुत ज्यादा होता है ।

अगर सही फंडामेंटल एनालिसिस करके अच्छे मिड कैप स्टॉक्स में पूंजी निवेश किया जाए तो बहुत अच्छा रिटर्न मिल सकता है ।

स्मॉल कैप स्टॉक्स में वॉलैटिलिटी कितना होता है ?

लार्ज कैप और मिड कैप के तुलना में स्मॉल कैप स्टॉक्स में वॉलैटिलिटी रेट सबसे ज्यादा होता है क्यों की इन कंपनियों का मार्केट कैप बहुत ही कम होता है और लोग इन स्टॉक्स में पैसे बहुत ही कम समय के लिए लगाते हैं इसीलिए इन कंपनियों में एक दिन में 20% तक उछाल भी हो सकती है या फिर उससे ज्यादा प्रतिसत गिरावट भी हो सकती है ।

स्मॉल कैप स्टॉक्स का प्राइस आम तौर पर बहुत कम होता है इसीलिए नए निवेशक इसकी और आकर्षित होते हैं मगर इन स्टॉक्स में पैसे डूबने का खतरा सबसे ज्यादा होता है और स्मॉल कैप के अंदर भविष्य में मल्टीबेगर रिटर्न देने वाला कंपनी को ढूंढना सबसे मुश्किल होता है ।

4. कंपनी का ग्रोथ होने के आसार (Growth potential)

कोई भी कंपनी के ग्रो होने के आसार सबसे ज्यादा उस कंपनी के मैनेजमेंट के ऊपर निर्भर करता है और मार्केट कैप से एक कंपनी का मैनेजमेंट को समझा जा सकता है ।

अगर कोई कंपनी का मार्केट कैप टाइम के साथ साथ बहुत अच्छे से बढ़ रहा है और कंपनी के ऊपर लोन भी कम है इसका मतलब उस कंपनी का मैनेजमेंट बहुत अच्छा है इसी तरह अगर कंपनी का मार्केट कैप समय के साथ साथ बढ़ नही रहा है इसका मतलब उस कंपनी का मैनेजमेंट अच्छा नहीं है ।

लार्ज कैप कंपनियों के ग्रो होने के आसार :

लार्ज कैप कंपनियों के मैनेजमेंट को बहुत अच्छा माना जाता है क्योंकि उसकी वजह से ही कंपनी का इतना ज्यादा ग्रोथ हुआ होता है मगर लार्ज कैप कंपनियों से ज्यादा रिटर्न मिलने के आसार बहुत कम होता है क्यों की वो कंपनियां पहले से ही बहुत ज्यादा ग्रो कर चुके होते हैं और उससे ज्यादा ग्रोथ करने के लिए कंपनी में बहुत ज्यादा इनवेस्टमेंट की आवश्यकता होती है उदाहरण के तौर पर :

मान लो एक लार्ज कैप कंपनी मार्केट कैप 40,000 करोड़ है तो उस बिजनेस को 2 गुणा बढ़ाने के लिए और 40,000 करोड़ की आवश्यकता होगी जो की आम तौर पर नहीं हो पाता इसी लिए लार्ज कैप कंपनियों के ग्रोथ रेट स्लो होते हैं मगर कंसिस्टेंट होते हैं और इनमें रिस्क भी बहुत कम होता है ।

मिड कैप कंपनियों के ग्रो होने के आसार :

मिड कैप कंपनियों के ग्रो होने आसार लार्ज कैप कंपनियों से ज्यादा होते हैं क्यों की इनका मार्केट कैप कम होता है इसीलिए इसे अच्छा मैनेजमेंट से इसे बढ़ाया जा सकता है मगर उसी तरह खराब मैनेजमेंट से कंपनी का घाटा भी हो सकता है इसीलिए इनमें रिस्क भी जुड़ा हुआ होता है मगर सही फंडामेंटल एनालिसिस और न्यूज के माध्यम से अच्छी कंपनियों को ढूंढा जा सकता है ।

स्मॉल कंपनियों के ग्रो होने के आसार :

स्मॉल कंपनियों के ग्रोथ होने के आसार सबसे ज्यादा होते हैं क्योंकि आज के बड़े कंपनियां भी कभी स्मॉल कैप कंपनी थे पर स्मॉल कैप कंपनियों में अच्छे स्टॉक्स को ढूंढना मुश्किल होता है और इनमें रिस्क सबसे ज्यादा होता है ।

अगर एक कंपनी का मार्केट कैप कम भी है मगर उस कंपनी का मैनेजमेंट यानी काम करने का तरीका और बिजनेस मॉडल बहुत अच्छा है तो वो बहुत अच्छा प्रदर्शन करके मल्टीबेगर रिटर्न दे सकती है ।

5. स्टॉक्स लिक्विडिटी (Stocks Liquidity)

स्टॉक्स लिक्विडिटी का मतलब है की किन कंपनियों के स्टॉक्स को हम जब चाहें आसानी से बेच सकते हैं और उन स्टॉक्स का डिमांड हमेशा रहता है ताकि हम जब भी उन स्टॉक्स को बेचें वो कम समय में बिक जाएं ।

स्टॉक्स का लिक्विडिटी अच्छा होना क्यों जरूरी है ?

अगर हमें कभी अचानक से पैसों की जरूरत पड़ी या फिर हमें कोई सेक्टर के स्टॉक्स में गिरावट आने की आसंका हुई तो तब हम कुछ स्टॉक्स को बेचना चाहेंगे वहीं पर अगर स्टॉक्स को लिक्विडिटी यानी डिमांड अच्छी नहीं हुई तो उन स्टॉक्स को बिकने के लिए बहुत समय लगेगा इसीलिए स्टॉक्स का क्वालिटी और डिमांड यानी लिक्विडिटी अच्छा होना जरूरी है ।

किन स्टॉक्स में लिक्विडिटी अच्छा होता है और किनमे नहीं ?

लार्ज कैप स्टॉक्स में लिक्विडिटी सबसे ज्यादा होता है क्यों की लार्ज कैप कंपनियों के स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने में रिस्क बहुत कम होता है इसीलिए इनको क्वालिटी स्टॉक्स माना जाता है और इसीलिए लार्ज कैप कंपनियों के स्टॉक्स हमेशा डिमांड में रहते हैं ।

मिड कैप कंपनियों में लार्ज कैप स्टॉक्स से ज्यादा रिस्क होते हैं इसीलिए मिड कैप स्टॉक्स में लिक्विडिटी लार्ज कैप स्टॉक्स से कम होता है और वहीं पर स्मॉल कैप स्टॉक्स में रिस्क सबसे ज्यादा होने के कारण इनमें लिक्विडिटी सबसे कम होता है इसीलिए स्मॉल कैप स्टॉक्स में ज्यादा पूंजी निवेश नहीं करना चाहिए ।

Large cap funds, mid cap funds और small cap funds क्या होते हैं ?

लार्ज कैप फंड्स :

ये एक म्यूचुअल फंड होता है जहां पर अनुभवी निवेशकों की टीम होती है हो आपके वहां पर निवेश किए हुए पूंजी को लार्ज कैप फंड इंडेक्स में सूचीबद्ध कंपनियों में मार्केट के स्थिति के अनुसार सही अनुपात में लगाते हैं ।

लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप तीनों ही म्यूचुअल फंड्स में लंपसम और sip दोनों ही तरीके से इन्वेस्ट कर सकते हैं और लार्ज कैप इंडेक्स होने की वजह से इनमें रिस्क और रिटर्न के आसार बाकियों से कम होता है ।

अगर आपको स्टॉकमार्केट के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं और आप अपने पूंजी के ऊपर बिलकुल भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो फिर आप इन लार्ज कैप फंड्स में निवेश कर सकते हैं ।

मिड कैप फंड्स :

लार्ज कैप फंड्स की तरह ही मिड कैप स्टॉक्स में आपके निवेश किए हुए पैसों को म्यूचुअल फंड के मैनेजमेंट टीम के द्वारा निफ्टी या सेंसेक्स के मिड कैप इंडेक्स में सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश किया जाता है ।

मिड कैप इंडेक्स होने के कारण इनमें वॉलैटिलिटी और रिस्क लार्ज कैप से ज्यादा होता है मगर उसी तरह यहां पर बहुत ज्यादा रिटर्न भी मिल सकता है इसीलिए ज्यादा निवेशक मिड कैप फंड्स में निवेश करना पसंद करते हैं क्योंकि यहां पर स्मॉल कैप से कम रिस्क और लार्ज कैप फंड्स से ज्यादा रिटर्न के आसार होता है ।

स्मॉल कैप फंड्स :

स्माल कैप फंड्स में पूंजी को म्यूचुअल फंड के मेजमेंट के द्वारा स्मॉल कैप इंडेक्स के कंपनियों में निवेश किया जाता है ।

स्मॉल कैप इंडेक्स होने कारण इनमें वॉलैटिलिटी बहुत ज्यादा होता है इसीलिए रिस्क भी सबसे ज्यादा होता है पर उसी तरह ज्यादा रिटर्न मिलने के भी आसार होते हैं मगर इनमें ज्यादा पूंजी निवेश नहीं करना चाहिए ।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती है सिर्फ म्यूचुअल फंड्स एप में अकाउंट खोलके आप इसमें निवेश कर सकते है ।

म्यूचुअल फंड्स में मैनेजमेंट टीम के होने की वजह से यहां पर निवेश करने के लिए expense ratio (E.R.) देना पड़ता है जिसकी मात्रा 1% से 1.5% तक हो सकता है ।

Large cap, Mid cap और small cap इंडेक्स फंड्स (index funds) क्या होते हैं ।

इंडेक्स फंड्स भी म्यूचुअल फंड की तरह ही होते हैं जिनमें हम म्यूच्युअल फंड एप के द्वारा निवेश कर सकते हैं मगर इसमें म्यूचुअल फंड की तरह कोई बड़ा मैनेजमेंट टीम नहीं होता है बल्कि इसमें बस इंडेक्स के मूवमेंट को कॉपी किया जाता है ।

लार्ज कैप इंडेक्स फंड्स लार्ज कैप इंक्सेडेक्स में, मिड कैप इंडेक्स फंड्स मिडकैप इंडेक्स में और स्मॉल कैप इंडेक्स फंड्स स्मॉल कैप इंडेक्स में निवेश करते हैं ।

मैनेजमेंट टीम न होने के कारण इंडेक्स फंड्स के expense ratio म्यूचुअल फंड्स के तुलना में बहुत ही कम होता है जोकि लॉन्गटर्म के लिए बहुत ही अच्छा होता है और इंडेक्स फंड में म्यूचुअल फंड की ही तरह SIP में निवेश किया जा सकता है ।

Large cap ETF, Mid cap ETF और small cap ETF क्या होता है ?

ETF का मतलब है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड जोकि बिलकुल ही इंडेक्स फंड के तरह ही होता है जहां पर इंडेक्स को कॉपी करके पूंजी निवेश किया जाता है ।

ईटीएफ फंड्स शेयर मार्केट में लिस्टेड होते हैं इसीलिए इनमें निवेश करने केलिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है और इसमें म्यूचुअल फंड या इंडेक्स फंड की तरह SIP के द्वारा निवेश नहीं किया जा सकता है मगर इंडेक्स फंड के ही तरह इसमें expense ratio बहुत कम होता है जोकि अच्छा है ।

लार्ज कैप ईटीएफ में लार्ज कैप इंडेक्स, मिडकैप ईटीएफ में मिडकैप इंडेक्स और स्मॉल कैप ईटीएफ में स्मॉल कैप इंडेक्स को कॉपी करके कंपनियों के स्टॉक्स में पैसे लगाए जाते हैं ।

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नमस्कार, मेरा नाम प्रकाश कुमार नायक है, में एक लेखक और वेबसाइट डेवलपर हूँ। फाइनेंस में मेरा पिछले 3 सालों का अनुभव है और मुझे नई चीजें शिखना और कंटेंट बनाना पसंद है। आशा करता हूँ हमारे आर्टिकल्स आपकी नॉलेज को ग्रो करने में सहायक होंगे। यहां आने के लिए धन्यवाद।

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