
प्रॉफिट (Profit) और इनकम (Income) इन दोनों शब्दों को हम हर दिन हमारे जीवन में एक ही अर्थ के लिए उपयोग करते हैं मगर कंपनी एनालिसिस में इन दोनों का मतलब अलग अलग हो सकता है जो की उस संदर्भ के ऊपर निर्भर करता है जिसको हम हिसाब कर रहे होते हैं ।
ग्रोस प्रॉफिट (Gross profit) यानी सकल लाभ और ऑपरेटिंग प्रॉफिट (operating profit) यानी परिचालन लाभ दोनों बहुत ही जरूरी टर्म हैं जिनसे ये पता चलता है की कंपनी का संपूर्ण परिचालना जैसे की प्रोडक्ट बनाने के साथ साथ मैनेजिंग, स्टोरिंग, मार्केटिंग और ट्रांसपोर्ट आदि में कंपनी कितना खर्चा कर रहा है ।
Gross profit और Operating profit के बारे में संपूर्ण जानकारी जानते हैं 10 स्टेप्स के अंदर :
- शुद्ध राजस्व यानी नेट रेवेन्यू (Net revenue)
- COGS (Cost of goods sold)
- ग्रोस प्रॉफिट मार्जिन [Gross Profit Margin (GPM) ]
- ग्रोस प्रॉफिट (Gross Profit)
- परिचालन खर्च यानी ऑपरेटिंग एक्सपेंस [Operating Expenses (OPEX)]
- गैर परिचालन व्यय यानी नॉन ऑपरेटिंग एक्सपेंस (Non Operating Expenses)
- परिचालन लाभ यानी ऑपरेटिंग प्रॉफिट (Operating profit)
- ऑपरेटिंग मार्जिन (Operating margin)
- परिचालन हानि यानी ऑपरेटिंग लॉस (Operating Loss)
- गैर परिचालन लाभ यानी नॉन ऑपरेटिंग प्रॉफिट (Non Operating Profit)
शुद्ध राजस्व यानी Net Revenue का मतलब क्या है ?
कोई कंपनी का टोटल जितने भी प्रोडक्ट या सर्विस की बिक्री होती है उससे मिली कीमत को कंपनी का नेट रेवेन्यू या नेट सेल्स (Net Sales) कहा जाता है ।
प्रोडक्ट के प्राइस के साथ जितने भी प्रोडक्ट बिक्री हुए हैं उनकी संख्या गुणा करने के बाद कंपनी का नेट रेवेन्यू मिलता है ।
Net Revenue का फॉर्मूला : Product price × Number of unit sold
उदाहरण : मान लो एक चॉकलेट कंपनी के एक चॉकलेट का दाम है 10 रूपये और 2021 में कंपनी ने 50,000 चॉकलेट बेचे तो साल 2021 में कंपनी का नेट रेवेन्यू हो जाएगा : 10 × 50,000 = 5,00,000 रूपये ।
- रेवेन्यू को एक समय अवधि में हिसाब किया जाता है जैसे मान लो ‘x’ कंपनी का साल 2021 में नेट रेवेन्यू रहा 10 करोड़ ।
- नेट रेवेन्यू कंपनी का प्राथमिक आमदनी को दर्शाता है ।
- रेवेन्यू जितना ज्यादा हो कंपनी के लिए उतना अच्छा होता है ।
- नेट रेवेन्यू ज्यादा होने पर कंपनी के पास अन्य खर्चे जैसे operation, tax और interest के लिए ज्यादा पैसे बचते हैं ।
- अगर कंपनी का नेट रेवेन्यू हर साल घटता रहा तो कंपनी का इनकम -ve में भी जा सकता हैं ।
COGS (Cost of goods sold) का मतलब क्या है ?
कंपनी के द्वारा वो सारे प्रोडक्ट जो बेचे गए हैं उन्हें बनाने के लिए जितना खर्चा आता है उसे COGS (Cost of goods sold) कहा जाता है जिसमें की Raw materials और प्रोडक्ट बनाने वाले श्रमिकों का सैलरी आदि खर्चे शामिल होते हैं ।
COGS में ओवरहेड और बिक्री जैसी अप्रत्यक्ष लागत शामिल नहीं होते हैं ।
COGS का फॉर्मूला :
COGS = Primary Inventory + P − Ending Inventory
where P = Purchases during the period
प्राइमरी इन्वेंटरी में मैन्युफैक्चरिंग के दौरान होने वाले अन्य खर्चे को मिलाने के बाद उससे एंडिंग इन्वेंटरी को माइनस करने पर कंपनी का COGS (Cost of goods sold) निकलता है ।
Inventory के बारे में संपूर्ण जानकारी के लिए :
COGS का एक उदाहरण : मान लो एक चॉकलेट कंपनी के एक चॉकलेट का दाम है 10 रूपये और 2021 में कंपनी ने 50,000 चॉकलेट बेचे और 10,000 चॉकलेट नहीं बेच पाए जो उनके पास अभी है ।
- Primary inventory = मान लो टोटल 60,000 चॉकलेट बनाने के लिए कंपनी ने ₹1,20,000 का कच्छा माल जैसे चॉकलेट, फ्रूट्स और चीनी (sugar) आदि खरीदा था ।
- P (Purchases) = 60,000 चॉकलेट को पैक करने के लिए ₹2000 के प्लास्टिक का खर्चा आया ।
- Ending Inventory = वो 10,000 बन चुके हुए चॉकलेट जो अभी नहीं बिके हैं उनको बनाने का खर्चा आया ₹20,200 ।
कंपनी का COGS = Primary Inventory + P − Ending Inventory =1,20,000+2000-20,200 = ₹1,01,800
ग्रोस प्रॉफिट (Gross profit) का मतलब क्या है ?
Gross profit यानी सकल लाभ वह लाभ है जो एक कंपनी अपने उत्पादों को बनाने और बेचने से जुड़ी लागतों या अपनी सर्विस प्रदान करने से जुड़ी लागतों में कटौती के बाद कमाती है।
ये आंकड़े कंपनी के income statement पर पाए जा सकते हैं। सकल लाभ को बिक्री लाभ (sales profit) या सकल आय (Gross profit) के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है।
Gross profit एक कंपनी की दक्षता का आकलन करता है कि वह अपने लेबर और सप्लाइज का उपयोग प्रोडक्ट्स या सेवाओं के उत्पादन में करता है ।
Gross Profit का फॉर्मूला :
Gross profit = Net revenue – COGS
कंपनी के नेट रेवेन्यू से COGS (Cost Of Goods Sold) को माइनस करने पर कंपनी का Gross profit निकलता है ।
उदाहरण : अगर उसी चॉकलेट कंपनी का उदाहरण लें जिसका नेट रेवेन्यू रहा ₹5,00,000 और COGS रहा ₹1,01,800 तो उस कंपनी का ग्रोस प्रॉफिट होगा = ₹5,00,000 – ₹1,01,800 = ₹3,98,200
ग्रोस प्रॉफिट मार्जिन [Gross Profit Margin (GPM)] क्या होता है ?
Gross profit margin एक मैट्रिक विश्लेषक है जो बेची गई वस्तुओं (COGS) की लागत घटाकर उत्पाद की बिक्री से बचे हुए धनराशि की गणना करके कंपनी के वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिए उपयोग करता है ।
कभी-कभी Gross margin ratio के रूप में जाना जाता है, सकल लाभ मार्जिन को अक्सर बिक्री के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
Gross Profit Margin का फॉर्मूला :
Gross Profit Margin (GPM) : Revenue – COGS/Revenue ×100
or Gross Profit Margin (GPM) : Gross Profit/Revenue × 100
उदाहरण : ₹3,98,200 का Gross profit और ₹5,00,000 का रेवेन्यू के साथ अगर हम उस चॉकलेट कंपनी का Gross Profit Margin निकाले तो होगा :
Gross Profit/Revenue × 100 : 3,98,200/5,00,000 = 0.79 × 100 = 79.64%
परिचालन खर्च यानी Operating Expense (OPEX) क्या होता है ?
Operating Expense का मतलब वो सारे खर्चे होते हैं जोकि बिजनेस को ऑपरेट करने के लिए किए जाते हैं ।
परिचालन खर्च यानी Operating Expense के अंदर rent, equipment, inventory costs, marketing, payroll, insurance, step costs और प्रोडक्ट के रिसर्च आदि के लिए किए गए खर्चे सामिल होते हैं ।
अगर कंपनी लाभ कमाने के लिए संचालित होता है तो आंतरिक राजस्व सेवा (IRS) व्यवसायों को परिचालन व्यय (Operating Expense) में कटौती करने की अनुमति देती है ।
गैर परिचालन व्यय यानी Non Operating Expense क्या होता है ?
Non Operating Expense यानी गैर परिचालन व्यय का मतलब वो सारे खर्चे होते हैं जो की कंपनी के बिजनेस से सीधा संबंध नहीं होता है ।
उदाहरण के तौर पर कंपनी का लिया हुआ लोन के ऊपर इंटरेस्ट पेमेंट करना, जिसका कंपनी बिजनेस में हुए खर्चों के साथ कोई लेना देना नहीं होता है ।
कंपनी के इनकम स्टेटमेंट में ऑपरेटिंग एक्सपेंस के ठीक नीचे कंपनी का गैर परिचालन व्यय यानी Non Operating Expense दर्ज होता है ।
Non Operating Expense के उदाहरण :
- Interest payments
- Losses from investments
- Inventory write-downs
- Lawsuit settlements
- Restructuring costs
- Currency fluctuations
- Natural Disasters
Interest payments यानी ब्याज का भुगतान :
कंपनी का लिए हुए लोन के ऊपर ब्याज का भुगतान करना कंपनी का गैर परिचालन व्यय यानी Non Operating Expense के अंतर्गत आता है ।
Losses from investments यानी निवेश में घाटा :
अगर कंपनी ने किसी और कंपनी में या फिर कहीं और इन्वेस्ट किया हुआ है मगर उस इन्वेस्टमेंट से कंपनी को घाटा होता है तो उसे भी कंपनी के Non Operating Expense के अंतर्गत सामिल किया जा सकता है ।
Inventory write-downs :
अप्रचलित हो चुके इन्वेंटरी जो बिल्कुल ही डैमेज हो चुके हैं या बिक्री नहीं हो सकते उनोको write-down या write-off करके Non Operating Expense अंतर्गत दर्ज किया जा सकता है ।
Lawsuit settlements :
जबकि हर दिन के परिचालन गतिविधियों से जुड़ी रोजमर्रा की कानूनी फीस परिचालन खर्च (Operating Expense) होते हैं वहीं एकमुश्त कानूनी समझौता एक गैर-परिचालन व्यय (Non Operating Expense) होता है।
Restructuring costs यानी पुनर्गठन लागत :
प्रतिस्पर्धात्मकता या व्यावसायिक दक्षता में सुधार के लिए डिज़ाइन किए गए पुनर्गठन के परिणामस्वरूप कंपनियां एकमुश्त खर्च कर सकती हैं जोकि Non Operating Expense के अंतर्गत आते हैं ।
Currency fluctuations यानी करेंसी की अस्थिरता :
यदि कोई कंपनी अन्य देशों में परिचालन करती है या विदेशी मुद्राओं में बिक्री करती है, तो मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव से नुकसान हो सकता है जो गैर-परिचालन व्यय के रूप में दर्ज किया जाता है।
Disasters यानी आपदा :
प्राकृतिक या किसी और तरीके से आई आपदा की वजह से कंपनी का जो घाटा होता है उसे गैर परिचालन व्यय यानी Non Operating Expense के अंतर्गत दर्ज किया जाता है ।
परिचालन लाभ यानी Operating Profit क्या होता है ?
Operating Profit यानी परिचालन लाभ का मतलब वो लाभ होता है जो कंपनी को अपने टोटल रेवेन्यू में से COGS, Operating Expenses, Depreciation और Amortization को माइनस करने के बाद मिलता है ।
कंपनी का परिचालन लाभ (Operating Profit) ये दर्शाता है की अपना सारा खर्चा काटने के बाद कंपनी अपने प्रोडक्ट या सर्विस को बेच कर कितना फायदा हुआ है ।
मगर ऑपरेटिंग प्रॉफिट में बिजनेस्ट कोई भी इंटरेस्ट (Interest) या टैक्स (Tax) रेवेन्यू (revenue) में से काटा नहीं जाता है इसीलिए Operating Profit को EBIT भी कहा जाता है जिसका फुल फॉर्म है :
- E- Earning
- B- Before
- I- Interest
- T- Tax
EBIT का मतलब है Earning Before Interest and Tax तो इंटरेस्ट और टैक्स पेमेंट करने से पहले कंपनी का जो प्रॉफिट हुआ होता है उसे ऑपरेटिंग प्रॉफिट कहते हैं ।
कंपनी के इनकम स्टेटमेंट में कंपनी के हार साल या क्वार्टर के ऑपरेटिंग प्रॉफिट EBIT के रूप में दर्ज किया जाता है ।
Operating Profit का फॉर्मूला :
Operating Profit = Revenue – COGS – Operating Expenses – Depreciation – Amortization
Operating Profit हिसाब करने का एक और तरीका:
Operating Profit = Net Income + Interest + Tax + Depreciation + Amortization
नेट इनकम में इंटरेस्ट, टैक्स, डिप्रीशिएशन और अमॉर्टाइजेशन को मिलाने के बाद कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट (Operating Profit) निकलता है ।
ऑपरेटिंग प्रॉफिट क्या दर्शाता है ?
- परिचालन लाभ एक कंपनी के स्वास्थ्य के अत्यधिक सटीक इंडिकेटर के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह गणना से सभी बाहरी कारकों को हटा देता है।
- ऑपरेटिंग प्रॉफिट को ऑपरेटिंग आय के साथ-साथ ब्याज और कर (EBIT) से पहले की कमाई के रूप में भी जाना जाता है – हालांकि गलत तरीके से, क्योंकि बाद में नॉन-ऑपरेटिंग प्रॉफिट शामिल होता है, जो ऑपरेटिंग प्रॉफिट का हिस्सा नहीं होता है ।
- यदि किसी फर्म की कोई नॉन ऑपरेटिंग प्रॉफिट नहीं है, तो उसका परिचालन लाभ EBIT के बराबर होगा।
ऑपरेटिंग मार्जिन (Operating Margin) क्या होता है ?
ऑपरेटिंग मार्जिन मापता है कि उत्पादन की परिवर्तनीय लागत, जैसे मजदूरी और कच्चे माल के लिए भुगतान करने के बाद, लेकिन ब्याज या कर का भुगतान करने से पहले कंपनी एक रुपए की बिक्री पर कितना लाभ कमाती है ।
ऑपरेटिंग मार्जिन का उच्च अनुपात आम तौर पर बेहतर होते हैं, यह दर्शाता है कि कंपनी अपने संचालन में कुशल है और बिक्री को मुनाफे में बदलने में अच्छी है ।
Operating Margin का फॉर्मूला :
Operating Margin = Operating Profit/Revenue×100
कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट को उसके नेट सेल्स यानी रेवेन्यू से विभाजित करने के बाद कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन (Operating Margin) निकलता है ।
एक अच्छा ऑपरेटिंग मार्जिन कंपनी की अच्छी स्थिति को दर्शाता है ।
ऑपरेटिंग लॉस (Operating Loss) क्या होता है ?
यदि किसी कंपनी का Operating Expenses उनके सकल लाभ यानी Gross Profit से अधिक हो जाता है, तो यह वित्तीय विवरणों (financial statements) पर एक ऑपरेटिंग लॉस (Operating Loss) के रूप में दर्शाया जाता है ।
एक ऑपरेटिंग लॉस ब्याज आय, ब्याज व्यय, असाधारण लाभ या हानि, या इक्विटी निवेश या करों से आय या हानि के प्रभाव को बाहर करती है।
एक कंपनी का ऑपरेटिंग लॉस उसके लाभहीन संचालन और खराब मैनेजमेंट को दर्शाती है, और वहां लागत कम करने या राजस्व बढ़ाने के लिए परिवर्तनों की आवश्यकता हो सकती है।
अगर कोई कंपनी भविष्य में ग्रो करने के लिए बिजनेस में ज्यादा निवेश कर रही है वहां पर भी कंपनी के इनकम स्टेटमेंट में ऑपरेटिंग लॉस दर्शाया जा सकता है ।
नॉन ऑपरेटिंग प्रॉफिट (Non Operating Profit) का मतलब क्या है?
नॉन ऑपरेटिंग प्रॉफिट (Non Operating Profit) का मतलब वो प्रॉफिट होते हैं जो कंपनी के खुद के बिजनेस नहीं आए होते ।
उदाहरण के तौर पर कंपनी के नाम पर कोई प्रॉपर्टी से मिला हुआ रेंट या फिर किसी अन्य कंपनी में निवेश किए हुए पैसों के ऊपर मिला हुआ डिविडेंट, किसीको दिए गए लोन के ऊपर मिला हुआ ब्याज और अगर कंपनी का कोई संपत्ति यानी मशीन या प्रॉपर्टी आदि बिक्री हो जाती है तो उससे आई हुए पैसों को नॉन ऑपरेटिंग प्रॉफिट (Non Operating Profit) कहा जाता है ।
गैर-परिचालन आय (Non Operating Profit) को परिचालन आय (Operating Profit) से अलग करने से निवेशकों को एक स्पष्ट तस्वीर मिलती है कि कंपनी राजस्व को लाभ में बदलने में कितनी कुशल है।
Gross Profit और Operating Profit में फर्क क्या होता है ?
- ग्रोस प्रॉफिट को कंपनी प्रोडक्ट बनाने की लागत को जानने के लिए हिसाब किया जाता है ।
- ऑपरेटिंग प्रॉफिट को बिजनेस के टोटल ऑपरेशन में होने वाले खर्चों को जान ने के लिए किया जाता है ।
- रेवेन्यू में से COGS (Cost Of Goods Sold) को माइनस करने के बाद कंपनी का ग्रोस प्रॉफिट निकलता है ।
- रेवेन्यू में से COGS, Operating Expenses, Depreciation और Amortization को माइनस करने के बाद कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट यानी परिचालन लाभ निकलता है ।
- ग्रोस प्रॉफिट को ग्रोस इनकम (Gross Income) भी कहा जाता है ।
- ऑपरेटिंग प्रॉफिट को EBIT (Earning Before Interest & Tax) भी कहा जाता है ।
- जिन कंपनियों में एसेट्स ज्यादा नहीं होते जैसे की IT Companies उनमें डेप्रिसिएशन और अमॉर्टाइजेशन नहीं होता है और वहां कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट निकालने के लिए ग्रोस प्रॉफिट में से ऑपरेटिंग एक्सपेंस को माइनस करना पड़ता है ।
निष्कर्ष :
सिर्फ कंपनी के ग्रोस प्रॉफिट और ऑपरेटिंग प्रॉफिट को एनालाइज कर के कंपनी के स्थिति के बारे में सही अंदाजा नहीं लगाना चाहिए क्योंकि उदाहरण के तौर पर मान लो अगर कंपनी ने अगर कोई बड़ा लोन लिया हो तो उसके प्रॉफिट का ज्यादातर हिस्सा उसको चुकाने में चला जायेगा ।
इसी तरह कोई भी कंपनी में निवेश करने से पहले उस कंपनी के बारे में सबकुछ बारीकी से एनालाइज करना चाहिए जैसे की Net Income, cash flow, holdings, EPS, PE rato आदि और इन टर्म्स के बारे में संपूर्ण जानकारी के लिए हमारे फंडामेंटल एनालिसिस के सारे आर्टिकल्स जरूर पढ़ें ।